Tuesday, 7 March 2017

अरे ! ऋतुराज आ गया !! / अज्ञेय

शिशर ने पहन लिया वसन्त का दुकूल
गंध बह उड़ रहा पराग धूल झूले
काँटे का किरीट धारे बने देवदूत
पीत वसन दमक रहे तिरस्कृत बबूल
अरे! ऋतुराज आ गया!!

~ अरे ! ऋतुराज आ गया !! / अज्ञेय

No comments:

Post a Comment