Saturday 11 March 2017

धरा-व्योम / अज्ञेय

अंकुरित धरा से क्षमा
व्योम से झरी रुपहली करुणा
सरि, सागर, सोते-निर्झर-सा
उमड़े जीवन:
कहीं नहीं है मरना ।

नारा, जापान, 6 सितम्बर, 1957

~ धरा-व्योम / अज्ञेय

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