Saturday 11 March 2017

हथौड़ा अभी रहने दो / अज्ञेय

हथौड़ा अभी रहने दो
अभी तो हन भी हम ने नहीं बनाया।
धरा की अन्ध कन्दराओं में से
अभी तो कच्चा धातु भी हम ने नहीं पाया।

और फिर वह ज्वाला कहाँ जली है
जिस में लोहा तपाया-गलाया जाएगा-
जिस में मैल जलाया जाएगा?
आग, आग, सब से पहले आग!

उसी में से बीनी जाएँगी अस्थियाँ;
धातु जो जलाया और बुझाया जाएगा

बल्कि जिस से ही हन बनाया जाएगा-
जिस का ही तो वह हथौड़ा होगा
जिस की ही मार हथियार को

सही रूप देगी, तीखी धार देगी।
हथौड़ा अभी रहने दो:
आओ, हमारे साथ वह आग जलाओ
जिस में से हम फिर अपनी अस्थियाँ बीन कर लाएँगे,

तभी हम वह अस्त्र बना पाएँगे जिस के सहारे
हम अपना स्वत्व-बल्कि अपने को पाएँगे।
आग-आग-आग दहने दो:
हथौड़ा अभी रहने दो!

~ हथौड़ा अभी रहने दो / अज्ञेय

No comments:

Post a Comment