Your Time
कितनी जल्दी तुम उझकीं झिझकीं ओट हो गईं, नन्दा! उतने ही में बीन ले गईं धूप-कुन्दन की अन्तिम कनिका देवदारु के तनों के बीच फिर तन गई धुन्ध की झीनी यवनिका।
बिनसर, नवम्बर, 1972
~ नन्दा देवी-9 / अज्ञेय
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