Your Time
व्यथा सब की, निविडतम एकान्त मेरा। कलुष सब का स्वेच्छया आहूत; सद्यधौत अन्तःपूत बलि मेरी। ध्वान्त इस अनसुलझ संसृति के सकल दौर्बल्य का, शक्ति तेरे तीक्ष्णतम, निर्मम, अमोघ प्रकाश-सायक की।
~ चक्रान्त शिला - 23 / अज्ञेय
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