Wednesday 8 March 2017

~ मैं देख रहा हूँ / अज्ञेय

मैं देख रहा हूँ
झरी फूल से पँखुरी
-मैं देख रहा हूँ अपने को ही झरते।

मैं चुप हूँ:
वह मेरे भीतर वसंत गाता है।

~ मैं देख रहा हूँ / अज्ञेय

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