Tuesday, 7 March 2017

आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी / अदम गोंडवी

आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी
 हम ग़रीबों की नज़र में इक क़हर है ज़िंदगी

 भुखमरी की धूप में कुम्हला गई अस्मत की बेल
 मौत के लमहात से भी तल्ख़तर है ज़िंदगी
  
 डाल पर मज़हब की पैहम खिल रहे दंगों के फूल
 ख़्वाब के साए में फिर भी बेख़बर है ज़िंदगी
  
 रोशनी की लाश से अब तक जिना करते रहे
 ये वहम पाले हुए शम्सो-क़मर है ज़िंदगी

 दफ़्न होता है जहाँ आ कर नई पीढ़ी का प्यार
 शहर की गलियों का वो गंदा असर है ज़िंदगी

~ आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी / अदम गोंडवी

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